*✨जन्मोत्सव, श्री कृष्ण जन्माष्टमी की मंगलकामनायें*

*बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव*

*श्री कृष्ण ने सभी समान और सभी का सम्मान का दिया संदेेश*

 

ऋषिकेश, 26 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की अनेकानेक मंगलकामनायें देते हुये कहा कि भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्णजी का जन्म धरती पर अधर्म और अत्याचार के नाश के लिए हुआ था। उन्होंने अपनी लीलाओं से हमें धर्म, सत्य, और प्रेम का मार्ग दिखाया। गीता के माध्यम से श्रीकृष्ण जी ने कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग के द्वारा मुक्ति का संदेश दिया।

 

भगवान श्रीकृष्ण जी का प्रकृति के साथ अद्भुत प्रेम है, वे वृंदावन में गायों के साथ खेलते थे और यमुना जी के तट पर अपनी लीलाएं करते थे ताकि प्रकृति व नदियों के महत्व को सभी जान सके। वृंदावन की हरियाली, यमुना जी की पवित्रता, और गोवर्धन पर्वत की महिमा के माध्यम से उन्होंने प्रकृति की पूजा, संरक्षण और सम्मान का संदेश दिया। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर भगवान इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा की और बताया कि प्रकृति हैं तो संस्कृति है; प्रकृति है जीवन है।

 

श्री कृष्ण जी ने अपने गरीब मित्र सुदामा को गले लगाया, उन्हें सम्मान दिया और ऊँच-नीच, बड़े-छोटे के सब भेदभाव को मिटाते हुये हमें बताया कि सभी समान और सभी का सम्मान आज पूरे विश्व को इसी की जरूरत है।

 

भगवान श्री कृष्ण ने कंस जैसे अत्याचारी राजा का नाश कर धर्म की स्थापना की और हमें अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होने का संदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण जी ने नारी शक्ति का सम्मान, सुरक्षा, उनके प्रति आदर और प्रेम का संदेश दिया। रासलीला के माध्यम से प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। महाभारत में जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब श्रीकृष्ण जी ने स्वयं वस्त्रावतार धारण किया और संदेश दिया की नारी की सुरक्षा सर्वोपरि है।

 

श्री कृष्ण ने सदैव नारी की शक्तियों और भावनाओं का आदर करते हुये उन्हें समान अधिकार दिए। भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने नारी के महत्व को स्पष्ट करते हुये कहा कि नारी का सम्मान और उसकी सुरक्षा समाज की जिम्मेदारी है क्योंकि नारी, शक्ति और ज्ञान का स्रोत है। नरकासुर राक्षस ने 16 हजार नारियों को बंदी बना रखा था। श्रीकृष्ण ने नारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिये नरकासुर का वध कर उन्हें मुक्त कराया परन्तु जब उन्होंने देखा कि समाज में उनकी स्वीकार्यता नहीं है क्योंकि उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था इसलिये उन्होंने उनकी रक्षा के लिए उनसे विवाह किया। यह विवाह एक प्रतीकात्मक कदम था, जिससे नारियों को समाज में सम्मान और सुरक्षा मिल सके। भगवत गीता के माध्यम से श्री कृष्ण जी ने कर्मयोग, नैतिकता, न्यायपूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण, संकट में धैर्य के साथ चुनौतियों का सामना करना, सामाजिक न्याय, प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान, सत्य और धर्म का पालन, निःस्वार्थ सेवा, शाश्वत प्रेम और भक्ति का संदेश दिया।

 

वर्तमान समय में भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव समाज में एकता, प्रेम, और भाईचारे का संदेश दे रहा है। यह जन्मोत्सव आप सभी के जीवन का महोत्सव बनें। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें। परमार्थ निकेतन में बड़े ही धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया जा रहा हैं। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने जन्माष्टमी के अवसर पर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।