*स्वामी श्री गोविन्द देव गिरि जी के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ*

*✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में यजमान परिवार ने दीप प्रज्वलित कर श्रीमद् भागवत कथा का किया शुभारम्भ*

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथा व्यास श्री गोविन्द देव गिरि जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा किया भेंट*

*कथाओं के माध्यम से प्रचार नहीं बल्कि विचारों का होता है संवर्द्धन*

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 12 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वानप्रस्थ आश्रम में आयोजित होने वाली श्रीमद् भागवत कथा का दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया। विख्यात कथाकार व भारतीय संस्कृति के संवाहक कोषाध्यक्ष श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या, स्वामी श्री गोविन्द देव गिरि जी के मुखारविंद से श्रीमद् भागवत ज्ञान धारा प्रवाहित हो रही हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा कथाव्यास स्वामी श्री गोविन्द देव गिरि जी को भेंट करते हुये श्री बनवारी लाल जी, श्रीमती आरती जाजू जी और यजमान परिवार के अन्य सदस्यों को हरित कथाओं और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भंडारों के लिये प्रेरित किया।

स्वामी जी ने कहा कि स्वामी श्री गोविन्द देव गिरि जी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक अद्भुत व्यक्तित्व और विचारों का पुंज हैं जो सनातन संस्कृति की धर्मध्वजा को इस भारत भूमि पर विभिन्न आयामों से फहरा रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर संदेश दिया कि प्रत्येक बच्चा जीवन में स्वस्थ सुविधायें, शिक्षा तक पहुँच और सुरक्षित बचपन के समान अविभाज्य अधिकारों के साथ जन्म लेता है परन्तु दुनिया भर में, लाखों बच्चे इन अधिकारों से वंचित रह जाते हैं जो बेहद गंभीर व चिंतन का विषय है।

दुनिया भर में प्रतिवर्ष लाखों बच्चे कुपोषण और बीमारियों से मर जाते हैं। अनगिनत बच्चे युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, एचआईवी/एड्स और हिंसा, शोषण और दुर्व्यवहार के शिकार होते हैं। वर्तमान समय में विशेषकर लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है इसलिये बच्चों के अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि परिस्थितियों कोई भी हो बच्चों के अधिकारों को छीना नहीं जा सकता। यह बात माता-पिता, समाज, संगठन, सरकार सभी के लिये लागू होती है और सभी को इसका प्रतिबद्धता से पालन भी करना होगा।

वैश्विक आंकडें देखंे तो 160 मिलियन बच्चे अभी भी बाल श्रम में लगे हुए हैं। अर्थात् प्रत्येक दस में से एक बच्चा बाल श्रम में पूरी तरह से लिप्त है। वर्ष 2024 की थीम ’’आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें- बाल श्रम को समाप्त करें’’! है और वास्तव में इस पर प्रत्येक व्यक्ति को कार्य करना होगा और अपनी प्रतिबद्धताओं को समझना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि बालश्रम बढ़ती बेरोजगारी व गरीबी का भी प्रमुख कारण है क्योंकि बच्चे बचपन से ही श्रम करना शुरू कर देते हैं जिसके कारण न तो वे शिक्षा, न ही व्यवसायिक प्रशिक्षण व कौशल प्राप्त कर पाते हैं इसलिये बेरोजगार व अशिक्षित पीढ़ी तैयार हो जाती हैं। छोटे-छोटे नासमझ बच्चे बाल श्रम के साथ नशा व अपराधिक वृतियों में भी लिप्त हो जाते हैं या स्वयं अपराध का शिकार हो जाते हैं। इस सब को रोकने के लिये बाल श्रम को समाप्त करना ही होगा। बच्चों का बचपन ही उनके लिये जीवन का स्वर्णिम काल हैं अतः प्रेम, करूणा, वात्सल्य और संस्कारों के संवर्द्धन के साथ उनका पालन-पोषण हो।