*सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में राज्य मानवाधिकार आयोग ने की वादों की सुनवाई।*

 

*प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों का हो संरक्षण- आर एस मीणा एवं जी एस धर्मसत्तू*

 

सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में प्रथम बार राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित दो दिवसीय संवेदनीकरण शिविर दूसरे दिन बुधवार को विकास भवन सभागार मैं संपन्न हुआ।

आयोग के सदस्यों ने वादों पर सुनवाई से पूर्व विकास भवन सभागार में उपस्थित अधिकारियों से परिचय लेते हुए इस शिविर की महत्ता से सभी उपस्थित अधिकारियों को अवगत कराया।

आयोग के सदस्य जी.एस धर्मसत्तू ने बताया कि संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकारों द्वारा संरक्षण प्राप्त है, तथा प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की जानकारी आम जनमानस तक अपने स्तर से पहुंचने का प्रयास करें उन्होंने मुख्यतः सामाजिक कार्यकर्ता एक्टिविस्ट तथा पत्रकारों से अनुरोध करते हुए कहा कि वह प्रत्येक नागरिक तक उनके मौलिक अधिकारों की जानकारी पहुंचने तथा नागरिकों की समस्याओं को उजागर कर आयोग के संज्ञान में लाने में विशेष योगदान दे सकते हैं।

आयोग के सदस्य आर.एस मीणा द्वारा बताया गया की जब किसी नागरिक को अन्य किसी माध्यम से न्याय नहीं मिलता है तो वह मानवाधिकार आयोग में अपनी शिकायत स्वयं लिखित प्रार्थना पत्र , डाक, ईमेल के माध्यम से तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट hrcnet.nic.in पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते है जो की बिल्कुल निशुल्क है।

उन्होंने बताया कि आयोग में प्रार्थना पत्र देने से पूर्व शिकायतकर्ता प्रार्थना पत्र पर अपना पूरा नाम पता मोबाइल नंबर तथा वाद का संपूर्ण विवरण आदि जानकारियां अंकित कर दें जिससे आयोग द्वारा शिकायत कर्ता तक वाद के संबंध में सूचना पहुंचाई जा सके तथा विधिक तकनीकी समस्याओं के कारण शिकायतकर्ता का प्रार्थना पत्र अस्वीकार ना हो। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार आयोग मात्र एक वर्ष के अंदर होने वाले वादों पर ही सुनवाई कर सकता है।

 

आयोग के सदस्यों द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग हेतु उपस्थित सिविल जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंजू देवी का धन्यवाद किया गया तथा उन्होंने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आम जनमानस तक मानव अधिकारों की जानकारी अपने शिविरों के माध्यम से पहुंचा कर विशेष भूमिका निभा रहा है।

सिविल जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंजू देवी द्वारा आयोग के सदस्यों तथा उपस्थित अधिकारियों तथा वादियों को संबोधित करते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा सीमांत में पहली बार शिविर लगाने हेतु सदस्यों का धन्यवाद अर्पित किया गया तथा सभी को मानवाधिकारों की विशेषता,मानवाधिकार आयोग के कार्यों तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली से अवगत कराया गया उन्होंने ह्यूमन राइट्स पर आधारित कुछ लैंडमार्क वादों का जिक्र करते हुए उनसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण में योगदान के बारे में बताया गया। उन्होंने आयोग के सदस्यों से अनुरोध किया कि वह धारचूला गुंजी आदि जैसे दूरस्थ क्षेत्र में भी शिविर लगाने का प्रयास करें जिससे दूरस्थ क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं का निराकरण हो सके तथा उनको मौलिक अधिकारों की जानकारी से भी अवगत कराया जा सके।

शिविर के दूसरे दिन आयोग के सदस्यों द्वारा शिकायतकर्ताओं के वादों को सुनकर उनका निस्तारण किया गया इनमें अधिकतर मामले श्रम विभाग शिक्षा विभाग लोक निर्माण विभाग तथा पुलिस विभाग से संबंधित रहे जिस पर आयोग के सदस्यों द्वारा संबंधित अधिकारियों को आगामी 5 दिसंबर तक जांच कर अपनी आख्या आयोग में देने को निर्देशित किया गया।

 

इस दौरान सिविल जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंजू देवी उपजिलाधिकारी पिथौरागढ़ खुशबू पांडे, अधिशासी अधिकारी नगर निगम पिथौरागढ़ राजदेव जायसी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी एच एस ह्यांकि, प्रभारी कोषाधिकारी पिथौरागढ़, अधिशासी अभियंता जल निगम मुख्य शिक्षा अधिकारी पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधिशासी अभियंता जल संस्थान आदि उपस्थित रहे।