*क्रान्तिकारी मंगल पांडे जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि*
*मंगल पांडे जी की बहादुरी और साहस को नमन*
*मंगल पांडे की जंग भारत, भारतीय संस्कृति व गौ माता की रक्षा व सम्मान की जंग*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश,ई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने क्रान्तिकारी मंगल पांडे की जयंती के अवसर पर अमेरीका की धरती से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि मंगल पांडे एक ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने आजादी की पहली लड़ाई का बिगुल बजाया था और अपने निडर व्यक्तित्व से भारतीयों को अपनी ताकत का एहसास करवाया था।
मंगल पांडे द्धारा किये शंखनाद से भारतीयों के मन में आजादी पाने की ज्वाला और तीव्र वेग से प्रज्वलित हुई और फिर वर्षों के संघर्ष के पश्चात भारत को आजादी मिली। मंगल पांडे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वे आजादी की लड़ाई के प्रथम क्रांतिकारी थे।
स्वामी जी ने अपने संदेश में कहा कि आज हम जिस आजादी का जश्न एवं उत्सव मनाते हैं उसके लिये हमारे देश के शिल्पकारों और स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारे इतिहास के पन्ने बखूबी बयाँ करते है आजादी का महत्व स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी देश के लाखों लोग, जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि कई युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। क्योंकि स्वतंत्रता उन्हें अपने प्राणों से अधिक प्रिय थी।

भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महापुरूषों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं जिन्होंने अपने मातृभूमि को स्वतंत्र करने के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। स्वतंत्रता की महत्ता अनगिनत है उसका कोई मोल नहीं है बस एक बात हम अवश्य ध्यान रखें, हमारी असीमित स्वतंत्रता दूसरों के जीवन पर भारी न पड़ जाए। हम अपने वतन को चमन बनाने के लिये, वतन में अमन लाने के लिये तथा देश की एकता और अखंडता के लिये मिलकर कार्य करेंगे।

शहीद मंगल पांडे भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था। उनकी शहादत ने क्रांति को जन्म दिया जिसने देशवासियों की राष्ट्रवादी भावनाओं को जगा दिया। उन्होंने भारत के लोगों की व्यक्तिगत मान्यताओं और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुये अन्याय के खिलाफ जंग शुरू की। उनके साहस और धैर्य को नमन।

स्वामी जी ने कहा कि मंगल पांडे की जंग गौ माता की रक्षा व सम्मान की भी जंग है। उन्होंने गाय की चर्बी से बने नए कारतूस के वितरित इस जंग को शुरू किया था, देखते ही देखते जिसने क्रान्ति का रूप धारण कर लिया था। मंगल पांडे की बहादुरी और साहस को नमन। वे वास्तव में भारत के नायक हैं।

 

 

 

*क्रान्तिकारी मंगल पांडे जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि
मंगल पांडे जी की बहादुरी और साहस को नमन
मंगल पांडे की जंग भारत, भारतीय संस्कृति व गौ माता की रक्षा व सम्मान की जंग
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 19 जुलाई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने क्रान्तिकारी मंगल पांडे की जयंती के अवसर पर अमेरीका की धरती से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि मंगल पांडे एक ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने आजादी की पहली लड़ाई का बिगुल बजाया था और अपने निडर व्यक्तित्व से भारतीयों को अपनी ताकत का एहसास करवाया था।
मंगल पांडे द्धारा किये शंखनाद से भारतीयों के मन में आजादी पाने की ज्वाला और तीव्र वेग से प्रज्वलित हुई और फिर वर्षों के संघर्ष के पश्चात भारत को आजादी मिली। मंगल पांडे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वे आजादी की लड़ाई के प्रथम क्रांतिकारी थे।
स्वामी जी ने अपने संदेश में कहा कि आज हम जिस आजादी का जश्न एवं उत्सव मनाते हैं उसके लिये हमारे देश के शिल्पकारों और स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारे इतिहास के पन्ने बखूबी बयाँ करते है आजादी का महत्व स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी देश के लाखों लोग, जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि कई युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। क्योंकि स्वतंत्रता उन्हें अपने प्राणों से अधिक प्रिय थी।

भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महापुरूषों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं जिन्होंने अपने मातृभूमि को स्वतंत्र करने के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। स्वतंत्रता की महत्ता अनगिनत है उसका कोई मोल नहीं है बस एक बात हम अवश्य ध्यान रखें, हमारी असीमित स्वतंत्रता दूसरों के जीवन पर भारी न पड़ जाए। हम अपने वतन को चमन बनाने के लिये, वतन में अमन लाने के लिये तथा देश की एकता और अखंडता के लिये मिलकर कार्य करेंगे।

शहीद मंगल पांडे भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था। उनकी शहादत ने क्रांति को जन्म दिया जिसने देशवासियों की राष्ट्रवादी भावनाओं को जगा दिया। उन्होंने भारत के लोगों की व्यक्तिगत मान्यताओं और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुये अन्याय के खिलाफ जंग शुरू की। उनके साहस और धैर्य को नमन।

स्वामी जी ने कहा कि मंगल पांडे की जंग गौ माता की रक्षा व सम्मान की भी जंग है। उन्होंने गाय की चर्बी से बने नए कारतूस के वितरित इस जंग को शुरू किया था, देखते ही देखते जिसने क्रान्ति का रूप धारण कर लिया था। मंगल पांडे की बहादुरी और साहस को नमन। वे वास्तव में भारत के नायक हैं।

 

 

 

*क्रान्तिकारी मंगल पांडे जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि
मंगल पांडे जी की बहादुरी और साहस को नमन
मंगल पांडे की जंग भारत, भारतीय संस्कृति व गौ माता की रक्षा व सम्मान की जंग
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 19 जुलाई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने क्रान्तिकारी मंगल पांडे की जयंती के अवसर पर अमेरीका की धरती से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि मंगल पांडे एक ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने आजादी की पहली लड़ाई का बिगुल बजाया था और अपने निडर व्यक्तित्व से भारतीयों को अपनी ताकत का एहसास करवाया था।
मंगल पांडे द्धारा किये शंखनाद से भारतीयों के मन में आजादी पाने की ज्वाला और तीव्र वेग से प्रज्वलित हुई और फिर वर्षों के संघर्ष के पश्चात भारत को आजादी मिली। मंगल पांडे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वे आजादी की लड़ाई के प्रथम क्रांतिकारी थे।
स्वामी जी ने अपने संदेश में कहा कि आज हम जिस आजादी का जश्न एवं उत्सव मनाते हैं उसके लिये हमारे देश के शिल्पकारों और स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारे इतिहास के पन्ने बखूबी बयाँ करते है आजादी का महत्व स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी देश के लाखों लोग, जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि कई युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। क्योंकि स्वतंत्रता उन्हें अपने प्राणों से अधिक प्रिय थी।

भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महापुरूषों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं जिन्होंने अपने मातृभूमि को स्वतंत्र करने के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। स्वतंत्रता की महत्ता अनगिनत है उसका कोई मोल नहीं है बस एक बात हम अवश्य ध्यान रखें, हमारी असीमित स्वतंत्रता दूसरों के जीवन पर भारी न पड़ जाए। हम अपने वतन को चमन बनाने के लिये, वतन में अमन लाने के लिये तथा देश की एकता और अखंडता के लिये मिलकर कार्य करेंगे।

शहीद मंगल पांडे भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था। उनकी शहादत ने क्रांति को जन्म दिया जिसने देशवासियों की राष्ट्रवादी भावनाओं को जगा दिया। उन्होंने भारत के लोगों की व्यक्तिगत मान्यताओं और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुये अन्याय के खिलाफ जंग शुरू की। उनके साहस और धैर्य को नमन।

स्वामी जी ने कहा कि मंगल पांडे की जंग गौ माता की रक्षा व सम्मान की भी जंग है। उन्होंने गाय की चर्बी से बने नए कारतूस के वितरित इस जंग को शुरू किया था, देखते ही देखते जिसने क्रान्ति का रूप धारण कर लिया था। मंगल पांडे की बहादुरी और साहस को नमन। वे वास्तव में भारत के नायक हैं।