ऋषिकेश। अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर.के. विश्नोई ने टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को एनटीपीसी राजभाषा शील्ड (प्रोत्साहन) पुरस्कार प्राप्त होने पर निगम के सभी कर्मचारियों को बधाई संप्रेषित की। यह पुरस्कार माननीय केंद्रीय मंत्री (विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा), आर. के. सिंह के कर कमलों द्वारा निदेशक (कार्मिक) टीएचडीसी, शैलेंद्र सिंह को विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक में प्रदान किया गया। इस अवसर पर विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सभी कार्यालय/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रमुख तथा प्रतिनिधि, हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य एवं अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
श्री विश्नोई ने इस अवसर पर कहा कि टीएचडीसी अपने मूल कार्यों के साथ ही अपने संवैधानिक एवं सामाजिक दायित्व को निभाने के लिए कृत संकल्प है निगम प्रत्येक क्षेत्र जैसे सामाजिक कल्याण, पुनर्वास, परियोजना प्रभावित लोगों के लिए विकास एवं उत्थान, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा के सामुदायिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। इस अवसर पर टीएचडीसी के निदेशक (कार्मिक) शैलेंद्र सिंह ने कहा कि यह निगम के लिए बहुत गौरव की बात है कि निगम प्रत्येक क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है इस प्रदर्शन को सर्वश्रेष्ठ करने के लिए सभी कर्मचारियों के सहयोग की आवश्यकता है सभी कर्मचारी हिंदी में अपना दैनिक कार्य करें और राजभाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाए। इस बैठक में विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन कार्यालयों और उपक्रमों की राजभाषा गृह पत्रिकाओं का विमोचन भी किया गया द्य इस अवसर पर टीएचडीसी की राजभाषा पत्रिका ‘पहल’ के जून 2023 अंक का विमोचन भी किया गया। केंद्रीय मंत्री (विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा), आर. के. सिंह के साथ विशेष सचिव (विद्युत मंत्रालय), आशीष उपाध्याय, राजभाषा प्रभारी एवं आर्थिक सलाहकार (विद्युत मंत्रालय), जितेश जॉन, टीएचडीसी के निदेशक (कार्मिक) शैलेंद्र सिंह द्वारा विमोचन कार्यक्रम में भाग लिया गया। टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश में प्रमुख विद्युत उत्पादक है, इसमें उत्‍तराखण्‍ड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट और द्वारका में 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं, उत्‍तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट के ढुकुवां लघु जल विद्युत परियोजना, केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग को इसका श्रेय जाता है।