*✨विख्यात मानस कथाकार राष्ट्र संत पूज्य मोरारी बापू जी पधारे परमार्थ निकेतन

*हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया*

*भारत, आध्यात्मिक संस्कृति का पवित्र दूत*

*पूज्य बापू अद्भुत, अलौकिक व दिव्य संत*

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश। विख्यात मानस कथाकार पूज्य बापू और वाराणसी के प्रसिद्ध संत महामंडलेश्वर सत्वा बाबा जी महाराज परमार्थ निकेतन पधारे। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों व आचार्यों ने वेद मंत्रों, शंख ध्वनि और पुष्पवर्षा कर पूज्य बापू का अभिनन्दन किया।

परमार्थ निकेतन के दिव्य प्रांगण में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य बापू और साध्वी भगवती सरस्वती जी की दिव्य भेंटवार्ता हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने वाले साधकों के लिये पूज्य बापू एक मार्गदर्शक शक्ति हैं। पूज्य बापू का गहन ज्ञान साधकों की आत्मा के लिये पोषण है, युवाओं को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की राह दिखाता है और साधकों को प्रभु श्रीराम की भक्ति की शक्ति के दर्शन कराता है। पूज्य बापू ने श्रीराम कथा के माध्यम से समाज के उन वर्गों तक पहुंचने की कोशिश की जो कि हाशिये पर रह रहे थे। जिस प्रकार प्रभु श्री राम ने चाहे शबरी हो या सुग्रीव, केवट हो या निषाद्राज सभी को गले लगाया उसी प्रकार पूज्य बापू ने हर उस समुदाय में जाकर कथा कहीं जो समाज की मुख्य धारा में नहीं थे। वे प्रभु श्री राम का संदेश प्रत्येक प्राणीमात्र तक पहुंचाने हेतु निरंतर अद्भुत प्रयास कर रहे हैं। भगवान श्री राम ने रामसेतु का निर्माण किया और पूज्य बापू राष्ट्र सेतु का निर्माण कर रहे हैं। वे अद्भुत हैं, अलौकिक हैं और दिव्य संत है।

स्वामी जी ने कहा कि सदियों से, युगों से भारत मानवता का प्रेरणास्रोत व शाश्वत स्रोत रहा है। इस स्रोत को युगों-युगों से पूज्य संतों, ऋषियों, मनीषियों और कथाकारों द्वारा प्रवर्धित, पुनर्जीवित और जीवंत बनाये रखा है। कई बार बाह्य जीवन में निराशाजनक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय मानस दिव्य संदेशों, सत्संग व कथाओं के माध्यम से सर्वोच्च वास्तविकता से जुड़ा हुआ है और ईश्वर, मनुष्य और प्रकृति के मध्य की शाश्वत वास्तविकता को स्वीकार करता है साथ ही पूर्ण आस्थावान जीवनशैली को अंगीकार भी करता है।

स्वामी जी ने कहा कि सहिष्णुता और एकता की निरंतरता ही भारत की विशेषता है। भारत में अतीत और वर्तमान के बीच ऐसी अद्भुत निरंतरता है जो कि बार-बार होने वाले सामाजिक आक्षेपों के बाद भी चली आ रही है क्योंकि प्रत्येक काल में ऐसे विलक्षण महापुरूष हुये जिन्होंने सद्भाव व समरसता को अक्षुण्ण बनाये रखा।

स्वामी जी ने कहा कि भारत, आध्यात्मिक संस्कृति का पवित्र दूत है। हर परिस्थिति में स्वयं को ढालते हुए भारत ने मानवता के कल्याण को सदैव सुरक्षित रखा और वह इसलिये क्योंकि हमारे पास हमारे बहुमूल्य व मूल्यवान शास्त्र हैं जिनमें शिक्षाप्रद ज्ञान समाहित है। हमारे शास्त्रों के माध्यम से मन और आत्मा के सुक्ष्म से सूक्ष्मतर क्षेत्रों में भी सुधार किया जा सकता है। मुझे तो लगता है कि मानव इतिहास का सबसे मूल्यवान और सबसे शिक्षाप्रद ज्ञान हमारे शास्त्रों में संग्रहित है जिन्हें हमारे कथाकार अपनी कथाओं व व्याख्याओं के माध्यम से सर्वसुलभ बना रहे है।

पूज्य मोरारी बापू ने कहा कि प्रभु श्री राम सब के हैं और सब श्री राम के हैं इसलिये उनके गुणानुवाद को सुनने व मनन करने का सभी को अधिकार है। जिस प्रकार उन्होंने जटायु, विभीषण और बाली आदि का उद्धार किया वर्तमान समय में भी जो उनकी शरण में हंै वे उन सभी के उद्धारक है।

स्वामी जी ने पूज्य बापू को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। उन्होंने पृथ्वी का प्रतीक विश्व ग्लोब को स्पर्श करते हुये पूरी पृथ्वी पर हरियाली व खुशहाली बनी रहे इस हेतु अपना आशीर्वाद प्रदान किया।