ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदाननन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को खालसा सृजन दिवस, बैसाखी पर्व की शुभकामनायें देते हुये कहा कि यह पावन पर्व सभी के जीवन में समृद्धि, हर्षोल्लास, खुशहाली एवं नवीन उत्साह का संचार करे। खालसा पंथ की स्थापना कर गुरू गोविंद सिंह जी ने भेदभाव को समाप्त कर एकता, समानता और सद्भाव के साथ रहने का संदेश दिया। बैसाखी, अन्न पैदा करने वाली धरती और ईश्वर का आभार व्यक्त करने का पर्व है। हम सभी बैसाखी पर्व पर संकल्प ले कि हमारी धरा स्वच्छ तो हम भी स्वस्थ।

आज के ही दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को संगठित करके खालसा पंथ की स्थापना की। इस पंथ का लक्ष्य मानवता के कल्याण के लिए कार्य करना था। खालसा पंथ ने सदैव ही भाईचारे को सबसे ऊपर रखा। मानवता के कल्याण के अलावा खालसा पंथ ने सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए भी अद्भुत कार्य किये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज एक प्रमुख भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि उन्होंने वर्ष 1924 में हसिये पर रहने वाले वर्गों के कल्याण हेतु एक संगठन की शुरुआत की। उनके विचार जाति-आधारित भेदभाव के विरुद्ध लड़ाई तथा सामाजिक न्याय के लिये संघर्ष में भारत के वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में भी प्रासंगिक बने हुए हैं।

एक समावेशी और समतावादी समाज का उनका दृष्टिकोण, जैसा कि भारतीय संविधान में निहित है जो देश के भविष्य के विकास के लिये एक मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है। इसके अतिरिक्त सशक्तीकरण के साधन के रूप में शिक्षा पर उनका ध्यान वर्तमान समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि भारत सदैव से ही एक वैश्विक नेतृत्व के रूप में अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहा है। डॉ. अंबेडकर जी की विचार रूपी विरासत भारत की राष्ट्रीय पहचान का एक अभिन्न अंग है और उनके विचार भविष्य की पीढ़ियों को भी सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने समाज में न्याय और समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने जीवन को समाज को न्याय और समानता की दिशा में बदलने के लिए समर्पित किया।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से भारतीय समाज में जातिवाद, असमानता, और अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा की। उनके द्वारा की समाजसेवा और कार्यों ने भारतीय समाज को समग्र रूप से प्रभावित किया। उनके द्वारा लिखित भारतीय संविधान ने भारतीय नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता, और न्याय का अधिकार प्रदान किया।

अम्बेडकर जी की जयंती के इस पावन अवसर पर, हम उनके विचारों और कार्यों को स्मरण करने के साथ ही वर्तमान समय में उन्हें अंगीकार करने का संकल्प ले। हमें समाज में विविधता, समानता, और न्याय की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए, जैसे कि अम्बेडकर जी ने सपना देखा था। उनकी जयंती पर यही हमारी ओर से उनके लिये सच्ची श्रद्धांजलि होगी।