हरिद्वार। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि सभी तीर्थ के जल की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। क्योंकि जल के दूषित होने पर संपूर्ण सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। सनातन धर्म में भी कलश पूजा का विशेष महत्व है। जिसमें सभी नदियों के जल का आवाहन कर उनके संरक्षण पर जोर दिया जाता है। उन्होंने कहा बदलते समय के साथ लोगों के धारणाएं बदल रही है जिसका परिणाम सबके सामने आ रहा है।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के हरिद्वार आगमन शंकराचार्य मठ में भव्य स्वागत किया गया। बताया गया कि हरिद्वार से शंकराचार्य बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे‌ । शंकराचार्य मठ में विश्व तीर्थ बचाओं अभियान दल के सदस्यों जल पुरुष राजेन्द्र सिंह जी – भारत, बारबरा कोवट्ज – पुर्तगाल, ग्रेबियल मियर – इजराइल, मिगुल एंजल पिमेंटल पाज़ – पेरू, आईडोमर वर्गस – कोलंबिया, नेवैथ वर्गस – कोलंबिया, सिलवानों रिज़्जी – पुर्तगाल, टीना मारिया पुगलीश – यूएसए, आईदा सिबली – पुर्तगाल, सलीम डारा -बेनिन गणराज्य, कोणकनकोह जोशुआ – कैमरून, बारबरा – चिली, नोह विलियम्स – यूएसए, बारबरा – जर्मनी, लेटिसिया हुर्तउ – फ्रांस, टोकाटवीन चेस – यूएसए, मिगुल हंबलेट – बेल्जियम, रमेश शर्मा – भारत, इंद्र शेखर सिंह ने मुलाकात कर सहयोग का निवेदन किया। शंकराचार्य मठ में सिद्ध भैरव
तंत्राचार्य ब्रह्मचारी सहजानंद, ब्रह्मचारी मुकुंदानंद, ब्रह्मचारी श्रवणानंद सहित अन्य सदस्यों ने शंकराचार्य जी का स्वागत एवं अभिनंदन किया। वहीं पूर्व सैनिकों ने भी जगतगुरु शंकराचार्य का सम्मान करते हुए धार्मिक क्षेत्र में उनके साथ मिलकर कार्य करने का संकल्प दोहराया।