आज विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिये एकजुटता का संदेश देते हुये कहा कि हमारा फैशन व हमारी दिनचर्या पृथ्वी से उसके अस्तित्व को छीन रही है इसलिये प्राकृतिक और पारम्परिक जीवनशैली अपनाना होगा ताकि प्लास्टिक का उपयोग कम से कम हो।

 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी लाइफस्टाइल हमारी धरा को विषाक्त कर रही है इसलिये हमें उसका समाधान निकालना होगा ताकि हमारी हवा, मिट्टी और जल प्रदूषण के साथ माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को भी कम किया जा सके क्योंकि प्लास्टिक व सिंथेटिक का हर टुकड़ा हमारी पृथ्वी से उसके अस्तित्व को छीन रहा है। अब समय आ गया है कि हम अपनी बदलती लाइफस्टाइल पर नहीं बल्कि एक स्थायी दुनिया, प्राकृतिक सौन्दर्य और अपने ग्रह पर निवेश करें।

 

स्वामी जी ने युवाओं को आह्वान करते हुये कहा कि अपने भविष्य के लिये आप स्वयं अपनी आवाज बने। अपनी धरती और अपने भविष्य को संरक्षित के लिये हरित राजदूत बनकर पर्यावरण संरक्षण हेतु अपनी आवाज को बुलंद करें।

 

आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती में स्वामी जी ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने का आह्वान करते हुये कहा कि प्लास्टिक न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारी धरती के लिये भी खतरा है। वर्तमान समय में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा हमारे महासागरों, झीलों और नदियों को अवरुद्ध कर रहा है और धरती पर जमा हो रहा है, जो पौधों, वन्य व जलीय जीवों के लिए हानिकारक है। प्लास्टिक प्रदूषण मानव स्वास्थ्य की ओर बढ़ता हुआ एक भयानक खतरा है।

 

वर्तमान समय में एकल-उपयोग प्लास्टिक एक बड़ी समस्या है जिसका हम सभी हिस्सा हैं। दुनिया हर साल 26 मिलियन अमेरिकी टन से अधिक पॉलीस्टाइनिन (प्लास्टिक फोम) का उत्पादन करती है। हर साल कम से कम 14 मिलियन टन प्लास्टिक हमारे महासागरों में पहुँच जाता है। जब प्लास्टिक लैंडफिल में पहुँचता है तो वह छोटे-छोटे विषैले कणों में टूट जाता हैं जो मिट्टी और जलमार्गों को प्रदूषित करता है उसके पश्चात जब जानवर गलती से उन्हें निगल लेते हैं तो वे खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं वह सबसे खतरनाक होता है। जर्मनी के शोधकर्ताओं के अनुसार स्थलीय माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण समुद्री माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण की तुलना में बहुत अधिक है क्योंकि वह सीधे तौर पर मनुष्यों और प्राणियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल डालता है।

 

हम अपनी सुविधाओं के लिए प्रतिदिन छोटे-छोटे विकल्प चुनते हैं, जैसे कॉफी या चाय शॉप से एक बार उपयोग होने वाला कप लेना या सिंगल यूज वाली पानी की बाॅटल लेना लेकिन हमें अपने निर्णयों और उसके परिणामों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है इसलिये बच्चों को प्लास्टिक की वास्तविकता की शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है। बच्चों को उनके स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक के प्रभावों के विषय में शिक्षित अत्यंत आवश्यक है। युवा पीढ़ी में पर्यावरण-अनुकूल व्यवहार विकसित करने और पृथ्वी के लिए फैशन करने हेतु प्रेरित करना होगा। अब समय आ गया है प्रत्येक व्यक्ति ’फोर एफ’ अर्थात हमारा फैशन, हमारा फूड, हमारे फंक्शन, हमारे फेस्टिवल हम पर्यावरण-अनुकूल मनायें।

 

स्वामी जी ने कहा कि हम अपने जीवन के लिये अनेक योजनायें बनाते हैं और उनकेे लिये हमारे पास प्लान ए व प्लान बी हो सकता है परन्तु प्लानेट ’धरती’ केवल एक ही है। धरती की जरूरत हम सभी को है इसलिये आईये उसका संरक्षण भी सभी मिलकर करें। पौधों का रोपण कर अपनी पृथ्वी को संरक्षित करने का संकल्प लें क्योंकि धरती है तो हम हैं।

आज विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर परमार्थ विद्या मन्दिर के विद्यार्थियों ने चित्रकला के माध्यम से पौधों का रोपण कर धरती को बचाने का संदेश दिया। इस अवसर पर बच्चों ने पौधों का रोपण भी किया।