*✨संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय न्यूयॉर्क, यूएसए में भारतीय संस्कृति की गौरवमयी गाथा ’मानस वसुधैव कुटुंबकम’् का शंखनाद*
*पूज्य मोरारी बापू जी के श्री मुख से हो रही ‘मानस वसुधैव कुटुंबकम् कथा’ में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने किया सहभाग*
*पहली बार संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय – न्यूयॉर्क, यूएसए में मानस कथा का दिव्य व भव्य आयोजन*
*संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से प्रेम देवो भव का दिव्य संदेश*
ऋषिकेश, 5 अगस्त। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय न्यूयॉर्क, यूएसए में भारतीय संस्कृति की गौरवमयी गाथा ’मानस वसुधैव कुटुंबकम’् का शंखनाद हुआ। पहली बार संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय – न्यूयॉर्क, यूएसए में पूज्य मोरारी बापू के श्री मुख से दिव्य व भव्य मानस कथा का आयोजन हुआ जो पूरे भारत के लिये गर्व का विषय है।
नौ दिवसीय मानस वसुधैव कुटुम्बकम् कथा के समापन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोई नहीं सोच सकता कि गुजरात के छोटे से गांव में जन्म हुआ और आज संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मानस कथा का गायन कर रहे हैं। यह एक संयोग नहीं है बल्कि पूज्य बापू के संकल्प, तपस्या और समर्पण का परिणाम है। स्वामी जी ने बताया कि मिलेनियम गोल्स की शुरूआत 108 पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में हुई थी और आज उसका दिव्य परिणाम हम देख रहे हैं।
स्वामी जी ने कहा कि आज पूरे विश्व को एकता का, वननेस का, टूगेदरनेस का मंत्र चाहिये। संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य है की दुनिया से गरीबी मिटे, सभी को न्याय मिले, सभी ओर शान्ति हो, समानता हो, परन्तु अब इससे काम नहीं चलेगा अब तो हमें ’’ सब मम प्रिय सब मम उपजाए, सबसे अधिक मनुज मोहे भाये’’ की आवश्यकता है।
स्वामी जी ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि दुनिया की खूबसूरती इन्सानों से हैं परन्तु मुझे तो लगता है कि इन्सानों की खूबसूरती इन्सानियत से है और यही संदेेश पूज्य मोरारी बापू का है कि इन्सानियत कैसे बचे। इन्सान को हम गरीबी दूर करके बचा सकते हैं, अस्पताल बना कर बचा सकते हैं, बड़े-बड़े मॉल खड़े कर बाकी सब जरूरतें भी पूरी कर सकते हैं परन्तु मानवता के बचाने के लिये ऐसी दिव्य कथाओं की जरूरत है।
स्वामी जी ने कहा कि मैं यहां पर विगत 40 वर्षों से आ रहा हूँ। मैंने यहां पर कई मंत्रों का उद्घोष किया व सुना परन्तु 21 वी सदीं में अगर पूरे विश्व को अगर किसी मंत्र की आवश्यकता है तो वह है ‘प्रेम देवो भव’। भारत के इतिहास में कुछ तिथियाँ ऐसी है जिन्हें हम प्रतिवर्ष मनाते हैं परन्तु संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित मानस वसुधैव कुटुम्बकम् का यह नौ दिवसीय अनुष्ठान सदैव याद किया जायेगा। यह हमारा सौभाग्य कि पूज्य मोरारी बापू जी जैसे पूज्य संत हमारे पास है। युवाओं को दिशा देने में बापू का योगदान अद्भुत है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हम सभी जो आज से संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में उपस्थित है व पूरे भारत के लिये यह अद्भुत अवसर है कि हमें पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
यहां पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मैने अनेक सेमिनार, कार्यक्रम, कॉन्फ्रेन्स होते देखा है परन्तु कथा पहली बार हो रही है। यहां पर सभी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स की बात करते हैं। पहले मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स पर कार्य किया अब सस्टेनेबल डेबलपमेंट गोल्स पर विगत 30 वर्षों से कार्य हो रहा है। वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से सस्टेनेबल डेबलपमेंट हेतु 17 गोल्स पर कार्य किया जा रहा है कि कैसे गरीबी को समाप्त हो सब को न्याय मिले, चारों ओर समानता का वातावरण हो, सभी को शुद्ध जल और वायु मिले, हमारी धरती व हमारी माटी स्वच्छ हो, सतत विकास व सतत जीवन शैली हो, सभी की शिक्षा तक पहुंच हो। इन सभी गोल्स को 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है परन्तु लोगों को लगता है कि यह सब 2030 तक सम्भव नहीं है परन्तु जब मैं इन सभी गोल्स को देखती हूँ तो लगता है इन गोल्स की स्थापना अर्थात राम राज्य की स्थापना।
इन गोल्स को प्राप्त करने के लिये, जीने के लिये और इन्हें पूर्ण होने के लिये ही तो मानस कथा है। मानस कथा में हनुमान जी हमें एक सुन्दर संदेश देते हैं और पूज्य बापू उसे बड़ी ही सहजता व सरलता से बताते हैं कि कैसे हनुमान जी ने कठिन से कठिन दिखने व लगने वाले कार्यों को सरल कर दिया; पूर्ण कर दिया। आज संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पूज्य मोरारी बापू जी के श्रीमुख से हो रही मानस कथा पूरे विश्व को एक संदेश है।