*आई.आई.एम.यू.एन. सम्मेलन यात्रा कार्यक्रम में देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, सहारनपुर और अन्य राज्यों के युवाओं की भागीदारी*
*तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान विभिन्न समिति सत्रों का आयोजन*
*✨डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ डिवाइन कनेक्टिविटी भी बहुत जरूरी*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आयोजित आई.आई.एम.यू.एन. सम्मेलन में भारत के विभिन्न विद्यालयों और काॅलेज के 19 से 21 वर्ष के 200 से अधिक छात्रों ने सहभाग कर इस दिव्य वातावरण में तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न समिति सत्रों के माध्यम से विभिन्न समसामयिक विषयों पर चितंन-मंथन किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। साथ ही युवाओं ने उनकी आध्यात्मिक, संस्कृति व दर्शन से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान भी प्राप्त किया। गंगा नन्दिनी जी ने योग, ध्यान और प्राणायाम की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराया।
राजभवन, देहरादून में माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड श्री गुरमीत सिंह जी की दिव्य उपस्थिति में आई.आई.एम.यू.एन. सम्मेलन यात्रा के उद्घाटन के पश्चात परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
आई.आई.एम.यू.एन. एक उत्कृष्ट मंच हैं जहां पर युवा मिलकर विभिन्न समितियों यथा उत्तराखंड़ लेजिस्लेटिव असेंबली, लोक सभा, यूनाइटेड नेशन्स वूमेन्स, यूनाइटेड नेशन्स मानवाधिकार, इन्फ्लुएंसर समिट, निरंतर संकट समिति, आईसीआईजे आदि समितियाँ बनाकर संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श और प्रश्नोत्तर सत्र के पश्चात संविधान पारित करते हैं। इन सत्रों के माध्यम से युवाओं ने समितियों के अन्तर्गत आने वाले विषयों, समस्याओं और समाधानों पर चिंतन-मंथन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि इस तरह के सम्मेलनों का आयोजन सभी संगठनों को आयोजित करना चाहिये तथा सभी संगठनों और शहरों को भी आगे आना चाहिये जिससे 19 से 21 वर्ष की इस गोल्डन उम्र में युवाओं की अपने राष्ट्र और वैश्विक मुद्दों पर जानकारी बढ़ेगी तथा संबंधित समस्याओं का भी समाधान प्राप्त होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं को इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ इनर कनेक्टिविटी और डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ डिवाइन कनेक्टिविटी भी बहुत जरूरी है। भारत में युवा जनसंख्या की स्थिति 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है और 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है।
युवा जनसांख्यिकीय के मामले में दुनिया में भारत पाँचवें स्थान पर है। अगर भारत की इस युवा आबादी का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। अक्सर युवा आबादी शिक्षा और कौशल विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करती है परन्तु वर्तमान में युवा अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों पर चिंतन मंथन कर रहे हैं, यह अपने आप में गौरव का विषय है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में भारत के युवा तकनीक-प्रेमी हैं और डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने एवं बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे सकारात्मक सामाजिक आंदोलन के साथ पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेंट चेंज आदि महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिये ध्यान व योग से जुड़ने व जोड़ने का संदेश दिया। साध्वी जी के साथ एक विशेष सत्र में युवाओं ने जीवन से संबंधित विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
आई.आई.एम.यू.एन. सम्मेलन यात्रा कार्यक्रम में उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश व भारत के विभिन्न राज्यों के युवाओं, व विद्यार्थियों ने सहभाग कर इस तीन दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण व गंगा आरती का आनंद लिया।